Tuesday, March 06, 2012

चल, लौटते हैं|

Taken On Route to Manali (August 2011)
Kodak 
चल, वापस चलते हैं,
उस रास्ते के किनारे,
हम अपनी रौशनी छोड़ आएँ है शायद,


और कुछ साज़ bhi रखे होंगे,
उन्ही लिहाफ ओढ़े
पहाड़ों की पगडंडियों पर।

उसी बारिश की छींटों में भीगी सी माया,
वहीं बैठी है,
सड़क के किनारे टूटती सी bench पे...

कहीं किसी तरफ से ही आ कर,
किसी पुरानी train का फ़ालतू सा किस्सा सुनाते हुए,
मेरे पास बैठे तू,
आँखों से मेरे बाल हटाते हुए,
कोई बेहूदा सा ठट्टा करे,
मेरे ज़हन के लफ्ज़ गुनगुनाये...

चल लौटते हैं?
जहाँ रेतों पर अभी भी,
सिर्फ़ हमारा आशियाना बना है...
चल, अब वही चलके रहते हैं।

image (C) copyright: aparna mudi

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