Tuesday, May 09, 2006

intezaar

this is the ghazal i was talking ABOUT .......written for my first love....
well still means a lot ...waiting ......pheebee


किसी की याद में, मन का समा ज़रा सा, थम जाए।
जी चाह्ता है कि ये दिल ज़रा सहम जाये।


ऑखों ने कहा तुझको देखूँ हर पल,
सच कहो ये कहीं तो प्यार नही।
राह देखती है ये मेरी नज़र,
ज़िन्दगी भर करूँ इंतेज़ार सही।
मिलने के हमारे वो लम्हें आये,
और ये समा ज़रा सा थम जाये।


कड़ी दर कड़ी जोड़ता है ये लम्हा,
तोड़ता है तो बस ये हसीन सपना,
केहता है हम बने हमसाये,
और ये समा ज़रा स थम जाये।...
किसी की याद में.....

No comments: