Monday, August 25, 2008

july 2006 (edited)

पीले पन्नो की उस पुरानी किताब में
कहीं मेरा भी नाम लिख लेना...

एक
दिन खो जाउंगी मैं,
तो,
कम से कम मेरी परछाई छूट जाएगी|
तुम्हारे इस किताब के पन्नो में,
फीका पड़ता ही सही ...
मेरा एक अक्स,
मेरी खुशबू के साथ,
महकाएगा तुम्हारा कोई एक पल ||

पीले पन्नो की एक पुरानी किताब में
कहीं मेरा भी नाम लिख लेना ...
पानी में घुलती वो नीली सी स्याही,
आसुओं से और गाढ़ी हो जाए शायद.
मेरे कुछ नौसिखिये से sketches,
तुम्हे उन pencil के धब्बो में मिल जाए....

मेरा प्यार,
उन सुखी टूटी पंखुरियों से
गिर जाए,
जब पन्नो को हलके से पलटो तुम
|
एक
अधूरी सी खुशबू
शायद
उस किताब में कहीं बंद हो,
पहचानोगे, तो मेरा ही चेहरा दिखेगा ||

पीले पन्नो की एक पुराणी किताब में,
कहीं हमारा भी नाम लिख लेना ...
हम दोनों का,
एक साथ...
'सपना' गर लिखा हो, तो शायद सच हो कभी ||
किसी और युग में...

1 comment:

delhidreams said...

peele pannon ki kitaabein, naam tak hi reh jati hain/yaadein kuch dur tak hi, sath de pati hain//kuch shaks aise bhi hote hain/jo sath hote hain, tab bhi, jab nahi hote hain