कल सुबह तेरी नींद से बोझल आँखों पर,
ठन्डे पानी के झपटो में कुछ पेट दर्द के बहाने सुने थे।
माँ झूठ सच पहचानती है।
मुझसे बहाने मत मारो।।।
तेरे नन्हे से हांथो में दूध थमाया था
वह गिलास अभी भी टेबल पे आधा खाली पड़ा है।
मैं नाराज़ हूँ की आज इतनी आवाज़े लगाई
अब भी जागा नहीं है तू।
आज क्या बहाना है?
बस्ते में टिफ़िन तक नहीं भरा ।
आज खूब फटकारूंगी,
फिर स्कूल की बस छूटेगी,
फिर दौड़ेंगे पापा स्कूटर लेके।
दूध कभी नहीं पीता , होशियार कैसे बनेगा?
कैसे नाम रोशन करेगा?
आज कौनसा होमवर्क छूटा,
अगर आज तेरी टीचर ने शिकायत की
तो तेरी खैर नही ।
उठ जा मुए!
सुबह गुज़र गयी।
अच्छा! आज चला जा, कल पिकनिक जायेंगे।
अब तो आँखे खोल.…
कल से सब बोल रहे हैं कि…
ऐसी क्या नाराज़गी…
माँ से नहीं बोलेगा?
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