Tuesday, January 29, 2013

aham bramhasmi

बड़ी दुआयें दी तूने,
बंजर आसमानों पर थूक दिया, 
और खून बरसाया छाती पर। 

बड़ी प्यास बुझाई आज।।

बड़े दर्द उधेड़े तूने, 
कुछ बोटियाँ नोच ली सपनो की, 
कुछ भूख मिटाई अय्यारों की।

बड़ी आग बुझाई आज।।

बड़ी लौ जलाई तूने,
सन्नाटों में चिंघाड़कर, 
हजूम बुलाये मज़हार पर।

बड़ा मरहम लगाया आज।।

शमशीर की नोख रखी मेरे स्तन पे!
और मुस्कुराके दूजा हाथ उठाया।
मांग मेरी सिन्दूरी करी,
तन धोया मंजिष्ठ से।।

बड़ा रंग चढ़ाया आज।।

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