Monday, November 09, 2009

onion rings and more(part of the chand series)

एक अकेला चाँद ढूंढता रहा,
घंटो...
इस उस गली में, 
किसी बादल के पीछे से झांकता,
तो कभी किसी तारे से पूछता...

किसी न किसी गली में तो बैठी होगी वो,
गुस्से में सिस्किया लेती| 

झगड़के दूर नहीं गयी होगी,
वहीँ कहीं इंतज़ार कर रही होगी,
कि अब आके बैठेगा चाँद उसके पास,
और दुनिया भर कि चांदनी
उसके गोद में डाल देगा,
उसे मनाने की खातिर|

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