Thursday, July 31, 2008

in crossing railway tracks

कवी होने में एक बुनियादी problem है...

station पर platform के नीचे,
चूहे नज़र आने के बजाये,
हमें romance नज़र आता है पटरियों पर||


खड़े माल गाड़ी के जंग लगते दरवाज़ों पर
चेहरा नज़र आता है प्यार का|

हम धोका खाए हुए
टूटे दिल के मरीज़ हैं,
कविताओं में अपनी एक दुनिया बनते चलते हैं|
escapism के उदाहरण बनके जीते हैं|

हम चाँद के craters में आँखें, कान, नाक, होंठ ढूंढ़ते हैं|
तारों को आँचल, रात को चादर समझते हैं|
भरी हुई सड़कों पर अकेलापन हमारी आदत है,
घंटों एक ही शब्द को टटोलना एक खेल,
भूख में खुशी, दर्द में जीत|

आठ line की कविता में समेटी हुई है
सारी oxymoronic ज़िन्दगी हमारी ||

1 comment:

Aparna Mudi said...

in a good way or bad??