आज जब मैं जागा तो तेरा हाथ रखा था मेरे हाथों पर,
गरम रजाई सा लपेटे,
अपने होठों से बस चन्द centimeter दूर|
मैंने तेरे गालों पे हाथ फेरा,
और हलके से खीछ लिया अपना हाथ,
तो नींद में ही तेरी उँगलियाँ ढूँढने में लग गयी|
मेरे हाथों को छूकर फ़िर से लिपट लिया,
इस बार ज़रा जोर से,
फ़िर धीरे से मुस्कुराते हुए,
फ़िर खो गयी अपने सपनो के बादलों में,
और मैं ताकता रहा तेरे चेहरे को,
कि दाईम इबादतों से आज नज़र आई है आज जन्नत|
गरम रजाई सा लपेटे,
अपने होठों से बस चन्द centimeter दूर|
मैंने तेरे गालों पे हाथ फेरा,
और हलके से खीछ लिया अपना हाथ,
तो नींद में ही तेरी उँगलियाँ ढूँढने में लग गयी|
मेरे हाथों को छूकर फ़िर से लिपट लिया,
इस बार ज़रा जोर से,
फ़िर धीरे से मुस्कुराते हुए,
फ़िर खो गयी अपने सपनो के बादलों में,
और मैं ताकता रहा तेरे चेहरे को,
कि दाईम इबादतों से आज नज़र आई है आज जन्नत|
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