बारिश आज झगड़ रही है मुझसे खूब,
कुछ make -up सा लगाना है,
के कोई न पहचाने,
बस धुंधली सी आँखें ही दिखे सबको मेरी!
कुछ जल सी जाती है,
उन सारे romeo 's के प्यार भरे ख़त में
मेरा ज़िक्र देख देख कर,
सोचती है की सारे मेरे लिए ही लिखे गए है |
और मैं उसके सामने खड़ा हो जाता हूँ,
के उसके आँचल में,
धुंधला के खो जाना अच्छा लगता है
इस झूठ को मैं टाल जाता हूँ,
और जकड लेता हूँ उसे अपने चारो ओर,
के हर romeo अपनी juliet को रात के अँधेरे में मिल लेगा|
आढ़ में उसकी जलन के,
उसी के आंसुओ के कुछ बूंदों में भीगते हुए
धुंधली रात में पहली बार चूमेंगे एक दुसरे को|
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